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मोती अंगूठी: कर्क राशि

मूल दक्षिण सागर मोती
आकार Free Size
प्रमाणीकरण Yes
धातु दक्षिण सागर मोती
सक्रिय Yes
शिपिंग 4 to 5
ग्राहक सेवा 9335022547





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विवरण

परिचय

कर्क राशि के लिए मोती राशि रत्‍न होता है। मोती इन राशि के स्‍वामी चंद्रमा का रत्‍न है। इसको धारण करना अत्‍यंत शुभ फल देने वाला होता है।

चंद्रमा अत्‍यंत कोमल तथा शुभफल देने वाला ग्रह है। यह व्‍यक्ति के मन का कारक होता है तथा मानसिक संतुलन का भी कारक ग्रह होता है।

जिस व्‍यक्ति का चंद्रमा शुभ फल देने की स्थिति में होता है वह कोमल हृदय वाला, दूसरों की हमेशा मदद करने वाला, समझदार, संपन्‍न और मानसिक रूप से बहुत मजबूत होता है।

इस रत्‍न को चांदी में धारण करना सबसे ज्‍यादा फलदायी होता है। शुभगहना में यह चांदी और पंचधातु में तैयार करवाकर लोगों को धारण करने के लिए दिया जाता है। 

कौन कर सकता है धारण:

  • कर्क राशि के जातकों के लिए यह भाग्‍य बढ़ाने वाला और काम काज में वृद्धि करने वाला रत्‍न है। अत: इन राशि के जातकों को इसे अवश्‍य धारण करना चाहिए।
  • चंद्रमा की अंतरदशा या महादशा से गुजर रहे हैं और इसका ज्‍यादा से ज्‍यादा लाभ प्राप्‍त करना चाहते हैं तो मोती रत्‍न की अंगूठी अवश्‍य धारण करें।
  • दूध, तरल पदार्थ जो स्‍वाभाव से कोमल हों, डेरी आदि चंद्रमा से संबंधित चीजों का व्‍यापार है या इन कामों में सफलता प्राप्‍त करना चाहते हैं तो मोती अवश्‍य धारण करना चाहिए।
  • कुंडली अनुसार अगर ज्‍योतिषाचार्य आपको चंद्रमा के इस रत्‍न को धारण करने की सलाह देते हैं तो भी आपको इसे तुरंत धारण कर लेना चाहिए।
  • मोती शुभ ग्रह का रत्‍न है, अत: यह किसी भी परिस्थिति में आपको नुकसान नहीं पहुंचाता। इस कारण से क्रोध शांत करने, मन को नियंत्र‍ित रखने और स्थिर मानसिकता रखने के लिए इसे किसी भी राशि के व्‍यक्ति द्वारा धारण किया जा सकता है।
  • वो बालक जो 15 साल से कम आयु के हैं यदि पढ़ाई आदि में मन नहीं लगा रहे हैं या उनका मानसिक विकास सही से न हो पा रहा हो, इसके अलावा बच्‍चा ज्‍यादा शरारती हो तो एक प्र‍शिक्षित काउंसलर से सलाह लें और साथ में मोती रत्‍न भी धारण करवाएं। आप अपने बच्‍चे में विस्‍मयकारी परिवर्तन देखेंगे।   

प्रयोग विधि:

  • मोती की अंगूठी को कनिष्‍का अंगुली में चांदी या पंचधातु की अंगूठी में या फिर गले में लॉकेट के रूप में धारण की जाती है।
  • इसे धारण करने के लिए इसका अभिमंत्रित होना विशेष आवश्‍यक है। यह काम आसान नहीं होता है इसलिए शुभ गहना के अनुभवी गुरूओं की देख-रेख में कर्मकांडी ब्राहमणों द्वारा इसे विशेष नक्षत्र में अभिमंत्रित किया जाता है।

हर रत्‍न को धारण करने का दिन समय नियत होता है। मोती को भी विशेष दिन और मुहुर्थ में धारण किया जाता है। सं‍बंधित संपूर्ण जानकारी लिख कर भेजी जाती है। 

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