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नीलम रत्‍न

विवरण


नीलम को अंग्रेजी में Blue Sapphire भी कहते हैं। अपनी सुंदरता और अपने ज्‍योतिषीय प्रभाव के कारण पूरी दुनिया में चर्चित है। सदी के महानायक अमिताभ बच्‍चन ने भी इसे अपनी मध्‍यमा अंगुली में धारण किया हुआ है। विदेशों में इसका इस्‍तेमाल श्रृंगार में होता है लेकिन भारत में यह वेदिक ज्‍योतिष के अनुसार शनि ग्रह से अच्‍छे प्रभाव प्राप्‍त करने के लिए धारण किया जाता है।

नीलम मुख्‍य रूप से उड़ीसा, बैंकॉक, श्रीलंका और कश्‍मीर में पाया जाता है।

वैज्ञानिक रूप से नीलम

जैसा कि हम जानते हैं प्रत्‍येक रत्‍न धरती की गोद में तैयार होते हैं और इस प्रक्रिया में कई हजार साल लगते हैं। नीलम कोरंडम श्रेणी का रत्‍न है। इसकी संरचना में एल्‍यूमीनियम ऑक्‍साइड (Al2O3) के साथ कुछ ट्रेस दूसरे तत्‍वों के भी होते हैं। इसमें लौह और टाइटेनियम तत्‍व की अधिक उपस्थिति के कारण इसका रंग नीला होता है। जिस नीलम में लौह तत्‍व की अधिकता होती है वह गाढ़ा नीला और जिसमें इसकी कमी होती है वह हल्‍का नीले रंग के होते हैं।

वेदिक ज्‍योतिष और नीलम

वेदिक ज्‍योतिष में नीलम को अति प्रभावी और बहुत शीघ्रता से प्रभाव दिखाने वाला रत्‍न कहा गया है। इस रत्‍न को शनि ग्रह से संबंधित करके देखा जाता है और ज्‍योतिषाचार्य इसे धारण करने की सलाह केवल तब देते हैं जब शनि ग्रह की स्थिति कुंडली में अच्‍छी हो लेकिन वह कमजोर होने के कारण या किसी अन्‍य कारण से शुभ फल न दे पा रहे हो।

नीलम के बारे में यह भी कहा जाता है यह बिना किसी अच्‍छे और अनुभवी ज्‍योतिषाचार्य की सलाह के इसको नहीं धारण करना चाहिए। क्‍योंकि यह जितनी तेजी से अपने शुभ प्रभाव देता है उतनी ही क्रूरता से यह अशुभ प्रभावों का संचार भी करता है।

ज्‍योतिषीय प्रभाव के लिए उड़ीसा नीलम या श्रीलंका का नीलम सबसे ज्‍यादा प्रयोग में लाया जाता है क्‍योंकि बैंकॉक नीलम में ट्रीटमेंट की संभावना बहुत ज्‍यादा होती है और कश्‍मीरी नीलम बहुत कम मात्रा में उपलब्‍ध होता है और उसकी कीमत आम आदमी की पहुंच से बाहर की बात है।

पश्‍चिमी ज्‍योतिष और नीलम

पश्चिमी ज्‍योतिष के आधार पर सितंबर माह में जन्‍में लोगों के लिए नीलम जन्‍म रत्‍न (Birth Stone for September) होता है। पश्‍चिमी देशों में नीलम को 45वीं वर्षगांठ का रत्‍न कहा जाता है। इसके अलावा 65 वां साल Sapphire जुबली के नाम से जाना जाता है।

कौन कर सकता है धारण

याद रखें नीलम हमेशा किसी अनुभवी ज्‍योतिषाचार्य से परामर्श के बाद ही धारण करना चाहिए। इसके बाद कुंडली में विभिन्‍न परिस्थितियां होती हैं जिनके आधार पर नीलम को धारण करने की सलाह दी जाती है। अगर शनि आपकी कुंडली में मारक नही है या किसी ऐसे भाव से संबंधित नहीं है जो आपके लिए अशुभ हों तब नीलम धारण करने की सलाह शनि ग्रह के शुभ प्रभावों को प्राप्‍त करने के लिए दी जाती है।

इसके अलावा शनि देव की महादशा-अंतरदशा या साढें साती और ढैया के दौरान होने वाली पीड़ा को कम करने के लिए भी नीलम रत्‍न धारण करना बहुत शुभ माना जाता है।

कितना वजन का पहनें नीलम

ऐसा माना जाता है कि नीलम बहुत ही शक्ति‍शाली रत्‍न है अत: कुछ ज्‍योतिषाचार्य इसे शरीर के वजन का 12वां हिस्‍सा धारण करवाते हैं तो कुछ 10वां हिस्‍सा। ज्‍योतिष विज्ञान की कुछ थ्‍योरी यह भी कहती है कि नीलम 5.25 रत्‍ती से ज्‍यादा धारण करना चाहिए इसके अलावा अगर बहुत उच्‍च स्‍तर का नीलम हो तो वह कम से कम धारण करने पर भी प्रभावकारी होता है।

नीलम रत्‍न खरीदते समय सावधानियां:

नीलम से लाभ

जैसा कि सब जानते है कि नीलम रंक को राजा बनाने में तनिक भी देर नहीं करता तो इसके प्रभाव भी कुछ ऐसे ही हैं।

सामाजिक सम्‍मान:

शनि देव के प्रभाव से समाज में आपका सम्‍मान बढ़ता है। लोगों के बीच आपकी छवि एक न्‍याय प्रीय व्‍यक्ति की बनती है। लोगों के बीच आपका और आपकी बातों का महत्‍व बढ़ता है।

उच्‍च पद देता है:

शनि देव की कृपा से धारण करने वाले व्‍यक्ति को हर जगह उच्‍च पद प्राप्‍त होता है।

सम्‍पन्‍नता:

शनि देव दैनिक जीवन की जरूरी चीजों के स्‍वामी ग्रह है। शनि देव प्रसन्‍न होते हैं तो व्‍यक्ति को कभी किसी चीज की कमी नहीं रहती है। वह जरूरत की हर चीज को प्राप्‍त करता है और जीवन बिना किसी कठिनाई के गुजारता है।

मेहनत का संपूर्ण फल:

शनि देव न्‍याय के देवता हैं और इसी कारण से नीलम धारण करने वाले व्‍यक्ति को उसके कार्य का संपूर्ण फल प्राप्‍त होता है। वह कुछ भी करे सफलता अवश्‍य मिलती है।

मजबूत हड्डियां और स्‍वस्‍थ शरीर:

शनि देव मानव शरीर की हड्डियां से संबंधित है तो शनि देव के सकारात्‍मक प्रभाव से मानव शरीर की हड्डियां मजबूत होती है और शरीर को शक्ति प्राप्‍त होती है।

दृढ़ संकल्‍प और सकारात्‍मकता:

शनि देव के प्रभाव शुभ प्रभाव हो तो व्‍यक्ति अपने लक्ष्‍य के प्रति तेजी से आगे बढ़ता है। आलस्‍य और ढीलापन छूकर नहीं गुजरता और व्‍यक्ति दृढ़ संकल्‍पी बनता है। हर काम को ऐसे व्‍यक्ति सकारात्‍मक रवैये से करते हैं तभी सफलता और लोकप्रीयता प्राप्‍त करते हैं।

उत्‍पत्ति के आधार पर नीलम:  

कश्‍मीरी नीलम: यह सबसे महंगा और खूबसूरत नीलम होता है। इसका सुर्ख नीला रंग देखते ही बनता है। वैज्ञानिक रूप से कहें तो एल्‍युमिनियम ऑक्‍साइड के साथ इसमें लौह तत्‍व की अधिकता होती है। इस प्रकार के नीलम की कीमत 55000 रू कैरेट से 200000 रू या उससे भी अधिक हो सकती है। यह संपूर्ण रूप से इसकी उपलब्‍धता और सुंदरता पर निर्भर करती है।

श्रीलंका नीलम: इसे सिलोन नीलम के नाम से भी जानते हैं क्‍योंकि ब्रिटिश काल में श्रीलंका का नाम सिलोन (Ceylon) था। वर्तमान समय में सिलोनी नीलम मांग सबसे ज्‍यादा है यह ज्‍योतिषीय रूप से प्रभावकारी होते हैं। सुंदरता के आधार पर यह 1500 रू प्रति कैरेट से 40000 रू प्रति कैरेट या अधिक के मूल्‍य पर बाजार में उपलब्‍ध है।

बैंकॉक नीलम: बैंकॉक रत्‍नों का एक बहुत बड़ा बाजार बन कर उभरा है। यहां रत्‍नों की खान ज्‍यादा तो नही हैं लेकिन यहां रत्‍नों के ट्रीटमेंट का काम बहुत बड़े स्‍तर पर होता है। रत्‍नों की गुणवत्‍ता को निखारने के लिए हीट ट्रीटमेंट कैमिकल ट्रीटमेंट और ग्‍लास फिलिंग जैसी तकनीक का प्रयोग करके यहां रत्‍न तैयार किए जाते हैं। यहां के नीलम को लेकर दो मत है कुछ ज्‍योतिषाचार्य इन्‍हें धारण करने की सलाह बिल्‍कुल नहीं देते और कुछ इन्‍हें भी ज्‍योतिषीय रूप से प्रभावकारी मानते हैं। इनकी कीमत 450 रू प्रति कैरेट से शुरू होती है और 2500 रू प्रति कैरेट तक जाती है।

उड़ीसा नीलम: यह नीलम भारत के उड़ीसा प्राप्‍त में प्राप्‍त किया जाता है। यह देखने में बहुत सुंदर नहीं होता है लेकिन वैज्ञानिक तौर पर परीक्षण हो तो नीलम की श्रेणी का ही रत्‍न सिद्ध होता है। यह 200 रू से 300 रू प्रति कैरेट के बीच के मूल्‍य में आसानी से उपलब्‍ध हो जाता है। हालांकि इसकी मांग बहुत ही कम है इसलिए उपलब्‍धता भी कम ही रहती है।

ज्‍योतिषीय रूप से यह प्रभावी रहता है और बाजार में इसके नकली या इमिटीशन बिल्‍कुल भी नहीं है।