अंग्रेजी में इसे Cats Eye ही कहा जाता है। यह केतु ग्रह से संबंधित रत्न होता है। क्योंकि केतु क्रूर ग्रह है इसलिए लहसुनिया को हमेशा किसी अच्छे ज्योतिषाचार्य से परामर्श के बाद ही धारण करना चाहिए।
वैज्ञानिक संरचना
लहसुनिया एल्यूमिनेट श्रेणी का रत्न है। बेरिलियम इसकी संरचना में मुख्य रूप से उपस्थित होता है। इसका रसायनिक फार्मुला BeAl2O4 होता है। इसकी वैज्ञानिक संरचना के कारण इसमें एक सफेद लाइन दिखाई पड़ती है। यह हीरे और सफायर के बाद तीसरा सबसे मजबूत रत्न है इसे मोह्स स्केल में 8.5 पर रखा गया है।
वेदिक ज्योतिष और लहसुनिया
वेदिक ज्योतिष में केतु को पूर्ण ग्रह का दर्जा नहीं दिया गया है। इसी तरह का ये प्रभाव भी देते हैं। केतु शारीरिक कष्ट देता है और जब ज्योतिषाचार्य यह देखते हैं कि केतु प्रभाव नहीं दे रहा है तो लहसुनिया धारण करने की सलाह दी जाती है।
यह दरिद्रता का कारक होता है अत: आर्थिक नुकसान होने की स्थिति में एक बार केतु की स्थिति के आधार पर इसे अवश्य धारण करना चाहिए।
पश्चिमी ज्योतिष और लहसुनिया
पश्चिमी ज्योतिष के आधार पर लहसुनिया रत्न को जून माह का बर्थ स्टोन कहा जाता है। इस माह में जन्में लोगों के लिए यह लकी स्टोन होता है। यह हीलिंग स्टोन के तौर पर हड्डियों के दर्द में धारण करवाया जाता है।
कौन कर सकता है धारण
यह केतु का रत्न है तो ऐसे लोग जिन्हें कुंडली में केतु की उपस्थिति के कारण पीड़ा उठानी पड़ रही है उसे यह रत्न अवश्य धारण करना चाहिए।
अगर केतु की महादशा चल रही हो या अंतरदशा हो तो भी इसे धारण करना बहुत अच्छे फल देता है।
कितना वजन का पहनें लहसुनिया
लहसुनिया प्रभावशाली रत्न है अत: कुछ ज्योतिषाचार्य इसे शरीर के वजन का 10वां हिस्सा धारण करने की सलाह देते हैं। ज्योतिष विज्ञान की कुछ थ्योरी यह भी कहती है कि लहसुनिया 5.25 रत्ती से ज्यादा धारण करना चाहिए इसके अलावा अगर बहुत उच्च स्तर का लहसुनिया हो तो वह कम से कम धारण करने पर भी प्रभावकारी होता है।
लहसुनिया रत्न खरीदते समय सावधानियां:
अगर ज्योतिषीय प्रभाव के लिए लहसुनिया धारण कर रहे हैं तो किसी अनुभवी ज्योतिषाचार्य से सलाह लें।
लहसुनिया हमेशा लैब से सर्टिफाइड ही लेना चाहिए। यह जरूर जांच लें कि लैब जो सर्टिफिकेट जारी कर रही है उसमें अपना पूरा पता दे रही है या नहीं।
लहसुनिया खरीदने से पहले उसके प्रकार का अध्ययन कर लें क्योंकि बाजार में कई प्रकार के लहसुनिया उपलब्ध हैं। तो यह तय करना जरूरी है कि आपको कौन सा धारण करना है।
खरीदते समय सबसे ज्यादा कन्फ्यूजन उसकी कीमत को लेकर ही होती है। कुछ काफी सस्ते तो कुछ बेशकीमती होते हैं ऐसे में जरूरी है कि आप अपना बजट तय करें और उस बजट में रत्न खरीदें।
Online लहसुनिया खरीद रहें हैं तो एक बार वेबसाइट की रिर्टन और रिप्लेसमेंट पॉलिसी जरूर पढ़ें और रत्न का सेंपल सर्टिफिकेट भी जरूर देंखे।
बेहतर हो की लहसुनिया खरीदने से पहले Online Buy Cats Eye करने से पहले वेबसाइट के कस्टमर केयर में जरूर बात कर लें उसके बाद ही लहसुनिया खरीदें।
लहसुनिया से लाभ:
घन संचय के लिए :
ऐसे लोग जो बहुत कमाते हैं लेकिन धन संचय नहीं हो पाता है उन्हें लहसुनिया अवश्य धारण करना चाहिए। यह धन संचय के मार्ग बनाता है।
उच्च जीवन शैली के लिए:
केतु व्यक्ति की जीवन शैली को ऊपर उठाता है। यह व्यक्तित्व में रौब लेकर आता है। ऐसे व्यक्ति हमेशा दूसरों से बहुत प्रभावी ढंग से मिलते हैं।
भय मुक्ति के लिए:
केतु मन से सारे भय समाप्त कर देता है। यह अचानक मृत्यु के भय दुघर्टना आदि के भय को समाप्त कर व्यक्ति को निडर बनाता है।
प्रेत बाधा से मुक्ति:
केतु का रत्न लहसुनिया धारण करने पर प्रेत बाधा से मुक्ति मिलती है तथा किसी भी प्रकार की ऊपरी बाधा छूकर नहीं गुजरती।
उत्पत्ति के आधार पर लहसुनिया :
बाजार में मुख्य रूप से तीन प्रकार के लहसुनिया होते हैं।
श्रीलंकन लहसुनिया : यह बहुत कीमती और सुंदर होते हैं। ये पारदर्शी होते हैं और इनको देखकर ऐसा लगता है जैसे इनके अंदर हल्का हरा तरल भरा हो। भारतीय बाजार में इनकी कीमत 1000 रू प्रति कैरेट से शुरू होती है और 1.5 लाख या उससे अधिक प्रति कैरेट तक होती है।
अफ्रीकन लहसुनिया : यह सुंदर हल्के हरे अथवा भूरे रंग से हरे चमकदार रंग के होते हैं। यह भारतीय बाजार में 600 रू प्रति कैरेट से 10000 रू प्रति कैरेट या उससे भी अधिक होती है।
भारतीय लहसुनिया: यह गहरे हरे रंग का होता है कुछ ज्योतिषाचार्य इसे सबसे ज्यादा प्रभावशाली मानते हैं। कीमत कम होने के कारण इसका प्रचार प्रसार कम हुआ है। यह 200 रू प्रति कैरेट से शुरू होता है और 7000 रू प्रति रत्ती तक में उपलब्ध होता है।