भगवान शिव का श्रृंगार रुद्राक्ष जिस पर प्राकृतिक रूप से सूढ़ नुमा आकृति आती है ऐसे रूद्राक्ष को गणेश रूद्राक्ष कहते है। यह पाया गया है कि ऐसे रूद्राक्ष को धारण करने के विशेष लाभ है।
गणेश रुद्राक्ष धारण करने के लाभ
किसी भी चीज को अगर बहुत जल्दी भूल जाते हैं तो यह रूद्राक्ष आपके लिए ही है। इसे धारण करने से यादाश्त में तेजी से बढ़ोत्तरी होती है और हर छोटी से छोटी बात आप भूलते नहीं हैं।
ऐसे बच्चे जो प्रयास करने के बाद भी पढ़ाई में बेहतर नहीं कर पाते उन्हें गणेश रूद्राक्ष धारण करना चाहिए। यह उनके प्रदर्शन को बेहतर करने में मदद करता है।
इस रूद्राक्ष को धारण करने से बच्चों में जिम्मेदारी का भाव आता है बच्चे आज्ञाकारी बनते हैं और माता पिता का सम्मान भी करते हैं।
इस रूद्राक्ष को धारण करके अगर भगवान गणेश का ऋण मुक्ति स्रोत का पाठ किया जाए तो यथाशीघ्र कर्ज से मुक्ति के मार्ग बनते हैं और धन प्राप्ति के नए मार्ग भी खुलते हैं।
इसके साथ ही गणेश रूद्राक्ष धारण करने से काम काज और व्यापार में बहुत तीव्रता से सफलता प्राप्त होती है। यह आपको सफलता के नए मार्ग पर ले चलता है।
इसके अलावा इस रूद्राक्ष में विघ्न हर्ता श्री गणेश का आशीर्वाद रहता है जो भी व्यक्ति इसे पूरी आस्था और विश्वास से धारण करता है उसे जीवन में कभी कष्ट नहीं आते और विपरीत से विपरीत परिस्थितियों में भी वह पीछे मुड़ कर नहीं देखते।
शुभ गहना - गणेश रुद्राक्ष की विशेषताएं
गणेश रूद्राक्ष धारण करने से धन, लक्ष्मी और सम्पन्नता की प्राप्ति होती है लेकिन यह लाभ केवल तब ही देता है जब पूर्ण रूप से अभिमंत्रित हो और शुद्ध हो।
शुभ गहना से प्राप्त होने वाला हर गणेश रूद्राक्ष प्रयोगशाला से प्रमाणित होता है और पूर्ण रूप से शुद्ध होता है।
यह पूर्ण लाभकारी केवल तब होता है जब अभिमंत्रित हो और विधिवत सही समय और शुभ मुहुर्थ में धारण किया जाए:
इस कारण से विशेष अभिषेक में गजानन गणपति के मंत्रों से उनकी शक्तियों का आवाहन करते हुए शुभ गहना से प्राप्त किया जाने वाला हर एक रूद्राक्ष अभिमंत्रित होता है तथा इसके साथ आपके पास इसको धारण करने का सही तरीका और संपूर्ण विधि भेजी जाती है।
प्राप्त करने वाला व्यक्ति इसे पूरी आस्था से बताई हुई विधि के अनुसार अगर धारण करे तो वह स्वयं अपने समय परिवर्तन का गवाह बनेगा।
कैसे करें प्रयोग
इसको विधि पूर्वक आप अपने गले पर धारण कर सकते हैं। यदि गले में धारण नहीं करना चाहते तो कलाई में ब्रसलेट के रूप मे भी धारण कर सकते हैं। इसके अलावा इसे अपने मंदिर में स्थापित भी कर रोज प्रात: काल विधिवत पूजन कर आप इसका लाभ ले सकते हैं।