विवरण
एक मुखी रूद्राक्ष सबसे ज्यादा पहना जाने वाला रूद्राक्ष होता है। शुभ फलों को देने वाला यह रूद्राक्ष किसी भी राशि के व्यक्ति द्वारा धारण किया जाता है। यह सबसे उत्तम माना जाता है यदि कुंडली में सूर्य के नीच का हो या अच्छे फल देने की स्थिति में न हो। ऐसी अवस्था में सूर्य का रत्न धारण करना घातक हो सकता है। तब सूर्य के प्रभाव को अच्छा करने, मान सम्मान की प्राप्ति के लिए, सरकारी क्षेत्र में अथवा सरकारी नौकरी में सफलता के लिए इसे धारण किया जाना चाहिए।
कुछ महत्वपूर्ण बातें:
- मंत्र: इस रूद्राक्ष को धारण करने के बाद ऊं ह्रीं नम: का जप करें जिससे इसका फल कई गुना बढ़ कर प्राप्त होता है।
- देवता: भगवान शिव से संबंधित इस रूद्राक्ष को पूर्ण आस्था के साथ धारण करें।
- ग्रह: सूर्य से संबंधित यह रूद्राक्ष कुंडली में उपस्थित सूर्य के सभी दोषों को दूर करता है और उसके शुभ फल प्राप्त होते हैं।
- राशि: सिंह राशि के जातक के लिए यह रूद्राक्ष वरदान के समान है उन्हें इसे भाग्य में वृद्धि के लिए अवश्य धारण करना चाहिए।
- उत्पत्ति: हिमालय के जंगलों में यह रूद्राक्ष उत्पन्न होता है और चांदी के पेंडेट में लगाकर भेजा जाता है।
- विशेष : यह विशेष नक्षत्र में सूर्य के मंत्रों से अभिमंत्रित तथा रूद्राभिषेक में प्राण प्रतिष्ठित होने के बाद धारण करने के लिए भेजा जाता है। इसे प्रयोगशाला में परीक्षण करवा कर इसे शुद्ध होने के प्रमाण के साथ भेजा जाता है जिससे धारण करने वाला पूरे विश्वास से इसे धारण कर सके।
फल और प्रभाव:
- नेतृत्व क्षमता में विकास होता है और सरकारी क्षेत्र में लाभ के समीकरण बनते हैं।
- भाग्य वृद्धि और कर्म वृद्धि होती है।
- भौतिक विज्ञान, इंश्योरेंस, राजनीति, सरकारी क्षेत्र, न्यायालय और सोने चांदी से संबंधित काम करने वालों के लिए उन्नति व पदोन्नति में सहायक।