शुक्र ग्रह से संबंधित अभिमंत्रित 6 मुखी रुद्राक्ष सम्पन्ता का प्रतीक है। क्योंकि शुक्र ग्रह संसारिक ऐशोआराम का कारक ग्रह है इसलिए इसे धारण करने से सुख सुविधाएं प्राप्त होती हैं।
भगवान शिव का यह श्रृंगार शुक्र ग्रह के सभी उपायों में सबसे श्रेष्ठ है। इस रूद्राक्ष को भगवान कार्तिकेय से संबंधित मानते हैं। यही कारण है कि इस रूद्राक्ष को बच्चों के लिए श्रेष्ठ माना जाता है यह रूद्राक्ष बच्चों को आज्ञाकारी बनाता है और माता पिता के प्रति सद्भावना देता है। पढने वाले बच्चों के लिए यह वरदान जैसा माना जाता है।
मंत्र: ऊं ह्रीं हूं नम: मंत्र से इसे सिद्ध किया जाता है और इसको धारण करने के बाद इस मंत्र का जप करें तो जीवन में समृद्धि आती है।
देवता: भगवान कार्तिकेय से संबंधित यह रूद्राक्ष बच्चों के लिए बहुत चमत्कारिक प्रभाव देता है।
ग्रह: शुक्र से संबंधित होने के कारण यह सुख और सुंदरता देता है।
राशि: वृषभ और तुला राशि वालों के लिए यह भाग्यवर्धक है।
उत्पत्ति: नेपाल के पर्वतों में यह भगवान शिव के आशीर्वाद स्वरूप उत्पन्न होता है।
लाभ:
बच्चों के लिए यह सर्वश्रेष्ठ रूद्राक्ष है। यदि 6 मुखी के साथ 4 मुखी को साथ पिरो कर धारण किया जाए तो बच्चा बहुमुखी प्रतिभा वाला बनता है।
यह सुंदरता और प्रसिद्धि देने वाला रूद्राक्ष है। ग्लेमर के क्षेत्र में या कला प्रदर्शन के क्षेत्र में है और प्रसिद्धि नहीं मिल रही है तो एक बार इस रूद्राक्ष को अवश्य धारण कीजिए।
जीवन में यदि सब कुछ कर चुके हैं लेकिन फिर भी आनंद नहीं मिल रहा है तो यह रूद्राक्ष आपको अवश्य धारण करना चाहिए।
ऐशो आराम और लग्जरी के स्वामी ग्रह से संबंधित यह रूद्राक्ष जीवन को आलीशान बनाता है।
कुंडली में शुक्र की उपस्थिति के अनुसार यदि शुभ संयोग न बन रहे हों तो यह दोषों को दूर कर अच्छे फल प्राप्त करवाता है।
धारण करने की विधि:
धारण करने की संपूर्ण विधि लिख कर भेजी जाती है। वैसे सामान्य रूप से इसे शुक्रवार के दिन धारण किया जाता है।