अंग्रेजी में इसे Tiger Eye Stone ही लिखते हैं। यह एक उपरत्न है और इसे कोई भी व्यक्ति बिना कंसल्टेशन के भी धारण कर सकता है। क्योंकि इस रत्न का कोई साइड इफेक्ट नही है।
वेदिक ज्योतिष और टाइगर आई
कुछ ज्योतिषाचार्य इसे सूर्य का उपरत्न मानते हैं लेकिन कुछ इसे मंगल और सूर्य दोनों से संबंधित मानते हैं। इसके अलावा इसमें पीली धारियों के कारण इसे कुछ ज्योतिषाचार्य सूर्य और गुरू के उपाचार हेतु भी धारण करने की सलाह देते हैं।
विज्ञान और टाइगर आई
वैज्ञानिक दृष्टि से यह रत्न सिलिका क्रिस्टल का डिपोजिशन है। यह मेटामार्फिक रॉक के रूप में पाया जाता है। यह इंडिया बर्मा और कोरिया में पाया जाता है इसके अलावा साउथ अफ्रीका में भी इसका खनन होता है।
पश्चिमी ज्योतिष और टाइगर आई
पश्चिमी ज्योतिष में टाइगर आई को अच्छा हीलिंग स्टोन माना गया है। यह शरीर की ऊर्जा को बनाए रखता है और जुझारू पन देता है। यह स्ट्रगल और उसके बाद जीत की निशानी माना जाता है।
किस वजन का धारण करें:
दूसरे रत्नों की तरह अपने शरीर का 10वां हिस्सा धारण करना चाहिए या फिर इससे अधिक आप अपनी सुविधा अनुसार कितना भी धारण कर सकते हैं।
टाइगर आई धारण करने के लाभ:
यह सूर्य और मंगल के शुभ प्रभाव देता है।
इसके प्रभाव से व्यक्ति संघर्षशील होता और मेहनत करने से कभी पीछे नहीं हटता है।
इसके प्रभाव से व्यक्ति कठिन से कठिन रास्ते पर भी चल कर सफलता अपने नाम करके ही मानते हैं।
यह शरीर की ऊर्जा को बनाए रखता है और आलस्य से दूर रखता है।
कीमत:
यह 200 रू प्रति कैरेट से 800 रू प्रति कैरेट तक का होता है। अधिकतर स्टोन ज्वेलरी में इसका इस्तेमाल होता है।