विवरण
दो मुखी रुद्राक्ष भगवान शिव के अर्धनारिश्वर रूप का प्रतीक है। वेदिक ज्योतिष के अनुसार इस रूद्राक्ष का संबंध चंद्रमा से है। तनाव से मुक्ति, मन को एकाग्र रखने और प्रेम संबंधों में मधुरता लाने के लिए इसे धारण करना सबसे उपयुक्त माना गया है।
महत्वपूर्ण तथ्य:
- मंत्र: इसे धारण करने के बाद रोज एक माला ऊं नम: मंत्र का जाप करें तो इसका प्रभाव कई गुना बढ़ कर प्राप्त होता है।
- देवता: शिव के अर्ध नारिश्वर स्वरूप से संबंधित यह रूद्राक्ष प्रेम जीवन में मधुरता के लिए महत्वपूर्ण है।
- ग्रह: चंद्रमा इससे संबंधित ग्रह है।
- राशि: कर्क राशि के जातकों के लिए यह सबसे उपयुक्त है और उन्हें इस रूद्राक्ष को अवश्य धारण करना चाहिए।
- उत्पत्ति: हिमालय के जंगलों में यह दुर्लभ रूद्राक्ष पाया जाता है।
प्रभाव:
- ऐसे व्यक्ति जिनकी कुंडली में चंद्रमा कमजोर हो या नीच राशि में हो तो इसे धारण करना सबसे उपयुक्त होता है।
- अर्थनारेश्वर रूप से संबंधित होने के कारण इसे प्रेमी युगल को अवश्य धारण करना चाहिए। यह प्रेम संबंधों में मजबूती लाता है।
- कर्क राशि के जातक के लिए यह वरदान के समान है। उन्हें इसे अवश्य धारण करना चाहिए।
- रसायन विज्ञान, चिकित्सा विज्ञान, कैमिस्ट शॉप, जड़ी बूटी, कपड़ा, डेयरी और कैटरिंग आदि क्षेत्र में यदि हैं तो भी यह रूद्राक्ष धारण करके आप कार्य में वृद्धि अवश्य प्राप्त करेंगे।