अंग्रेजी में इसे Yellow Sapphire के नाम से जानते हैं। अपनी सुंदरता और सकारात्मक प्रभाव के कारण पुखराज दुनिया में सबसे ज्यादा धारण किया जाने वाला रत्न है। इसकी पीली छटा किसी को भी मंत्र मुग्ध कर देती है। विदेशों में इसका इस्तेमाल श्रृंगार में होता है लेकिन भारत में यह वेदिक ज्योतिष के अनुसार बृहस्पति ग्रह से अच्छे प्रभाव प्राप्त करने के लिए धारण किया जाता है।
पुखराज मुख्य रूप से बैंकॉक और श्रीलंका में पाया जाता है।
वैज्ञानिक संरचना
नीलम की तरह पुखराज भी कोरंडम श्रेणी का रत्न है। इसकी संरचना में एल्यूमीनियम ऑक्साइड (Al2O3) के साथ कुछ ट्रेस दूसरे तत्वों के भी होते हैं। यह हल्के पीले से गाढें पीले रंगों में पाया जाता है।
वेदिक ज्योतिष और पुखराज
वेदिक ज्योतिष में पुखराज को बहुत ही शुभ ग्रह बृहस्पति का रत्न कहा जाता है। सामान्य रूप से गुरू बृहस्पति के शुभ प्रभावों को प्राप्त करने के लिए इसे धारण करने की स--लाह दी जाती है।
ज्योतिषीय प्रभाव प्राप्त करने के लिए श्रीलंका से आने वाला पुखराज सबसे उत्तम माना जाता है। बैंकॉक से भी कुछ बहुत अच्छे पुखराज आते हैं लेकिन क्योंकि बैंकॉक जेम्स इंडस्ट्री रत्नों के ट्रीटमेंट और इन्हासमेंट के लिए जानी जाती है इसलिए रत्न के ट्रीटेड होने का डर रहता है।
पश्चिमी ज्योतिष और पुखराज
पश्चिमी ज्योतिष के आधार पर धनु राशि के लोगों का पुखराज जन्म रत्न (Birth Stone) होता है। पश्चिमी देशों में पुखराज को 45वीं वर्षगांठ का रत्न कहा जाता है। इसके अलावा 65 वां साल Sapphire जुबली के नाम से जाना जाता है।
कौन कर सकता है धारण
पुखराज के शुभ प्रभावों के कारण आम तौर पर इस रत्न को लोग बिना डर के धारण कर लेते हैं। यह शुभग्रह का रत्न है इसलिए इसे धारण करने से अधिकतर शुभ फल ही प्राप्त होते हैं।
इसके अलावा यदि गुरू की महादशा या अंतरदशा के दौरान सम्मान और व्यापार में नुकसान हो रहा हो तो ज्योतिषाचार्य इसको धारण करने की सलाह देते हैं।
धार्मिक कार्यक्रमों से जुड़े लोग धर्म ग्रंथ आदि का पाठ करने वाले लोग भागवान कहने वाले लोग फिजीशियन डॉक्टर यदि इस रत्न को धारण करते हैं तो उनकी सामाजिक प्रतिष्ठा में बहुत तेजी से वृद्धि होती है।
लड़कियों में यदि विवाह की परेशानी हो या दाम्पत्य जीवन में सही प्रकार से सम्मान न मिलता हो, सांस्कृतिक कार्यक्रमों में बार बार रूकावट आती हो तो भी इस रत्न को धारण कर इसके शुभ फल प्राप्त किए जा सकते हैं।
कितना वजन का पहनें नीलम
पुखराज प्रभावशाली रत्न है अत: कुछ ज्योतिषाचार्य इसे शरीर के वजन का 12वां हिस्सा धारण करवाते हैं तो कुछ 10वां हिस्सा। ज्योतिष विज्ञान की कुछ थ्योरी यह भी कहती है कि पुखराज 5.25 रत्ती से ज्यादा धारण करना चाहिए इसके अलावा अगर बहुत उच्च स्तर का पुखराज हो तो वह कम से कम धारण करने पर भी प्रभावकारी होता है।
पुखराज रत्न खरीदते समय सावधानियां:
अगर ज्योतिषीय प्रभाव के लिए पुखराज धारण कर रहे हैं तो किसी अनुभवी ज्योतिषाचार्य से सलाह अवश्य लें।
पुखराज हमेशा लैब से सर्टिफाइड ही लेना चाहिए। यह जरूर जांच लें कि लैब जो सर्टिफिकेट जारी कर रही है उसमें अपना पूरा पता दे रही है या नहीं।
पुखराज खरीदने से पहले उसके प्रकार का अध्ययन कर लें क्योंकि बाजार में कई प्रकार के पुखराज उपलब्ध हैं। तो यह तय करना जरूरी है कि आपको कौन सा पुखराज धारण करना है।
पुखराज खरीदते समय सबसे ज्यादा कन्फ्यूजन उसकी कीमत को लेकर ही होती है। कुछ काफी सस्ते तो कुछ बेशकीमती होते हैं ऐसे में जरूरी है कि आप अपना बजट तय करें और उस बजट में रत्न खरीदें।
Online पुखराज खरीद रहें हैं तो एक बार वेबसाइट की रिर्टन और रिप्लेसमेंट पॉलिसी जरूर पढ़ें और रत्न का सेंपल सर्टिफिकेट भी जरूर देंखे।
बेहतर हो की पुखराज खरीदने से पहले Pukhraj Online Buy करने से पहले वेबसाइट के कस्टमर केयर में जरूर बात कर लें उसके बाद ही पुखराज खरीदें।
पुखराज से लाभ
पुखराज शुभ फल देने वाला रत्न है और यह गुरू बृहस्पति के अच्छे फल प्राप्त करने के लिए धारण किया जाता है।
मान सम्मान में बढोत्तरी:
गुरू सम्मान का हकदार होता है और ऐसा ही सम्मान पुखराज धारण करने वाले को प्राप्त होता है। लोग आपकी बात सुनते हैं और समझते हैं। हमेशा आपके साथ खड़े रहते हैं। आपकी कही बात को नकारने की हिम्मत कोई नहीं करता।
उच्चपदासीन लोगों से संबंध:
पुखराज धारण करने से आपके संबंध उच्चपदासीन लोगों से होते हैं। हर बड़े क्षेत्र में आपकी आवभगत होती है।
आध्यात्मिक आनंद:
गुरू का रत्न धारण करने से व्यक्ति की रुचि आध्यात्मिक चीजों की ओर बढ़ती है। व्यक्ति बहुत सरल प्रयास से ही आध्यात्म का आनंद ले पाते हैं। धार्मिक सामग्री का पठन पाठन और उसका प्रचार प्रसार में रुचि बढ़ती है।
जीवनशैली में सुधार:
पुखराज धारण करने के बाद लोग इस बात को लेकर सचेत हो जाते हैं कि लोगों के हृदय में उनकी छवि कैसी बन रही है। इस कारण से वह अपनी जीवनशैली में सुधार लाते हैं जिससे लोग उनका अनुसरण कर सकें।
मजबूत पाचन और स्वस्थ शरीर:
कहते हैं पेट स्वास्थ तो शरीर स्वस्थ। गुरू बृहस्पति हमारे पेट से संबंधित ग्रह होते हैं। इनका रत्न धारण करने से वृहस्पति की समारात्मक ऊर्जा मिलती है और पाचन तंत्र से संबंधित परेशानियां दूर हो जाती है। यह जीवन शैली से जुड़े रोगों को भी दूर करने में बहुत सक्षम रत्न है।
सकारात्मक जीवन:
पुखराज धारण करने के बाद व्यक्ति मोहमाया के जंजाल से बाहर आने के लिए तैयार हो जाता है। वह सिर्फ अपने सम्मान और उदारता के विषय में ही विचार करता है जिससे जीवन में सकारात्मकता आती है।
उत्पत्ति के आधार पर पुखराज:
श्रीलंका पुखराज: इसे सिलोन पुखराज के नाम से भी जानते हैं क्योंकि ब्रिटिश काल में श्रीलंका का नाम सिलोन (Ceylon) था। वर्तमान समय में सिलोनी पुखराज की मांग सबसे ज्यादा है यह ज्योतिषीय रूप से प्रभावकारी होते हैं। सुंदरता के आधार पर यह 1500 रू प्रति कैरेट से 40000 रू प्रति कैरेट या अधिक के मूल्य पर बाजार में उपलब्ध है।
बैंकॉक पुखराज: बैंकॉक रत्नों का एक बहुत बड़ा बाजार बन कर उभरा है। यहां रत्नों की खान ज्यादा तो नही हैं लेकिन यहां रत्नों के ट्रीटमेंट का काम बहुत बड़े स्तर पर होता है। रत्नों की गुणवत्ता को निखारने के लिए हीट ट्रीटमेंट कैमिकल ट्रीटमेंट और ग्लास फिलिंग जैसी तकनीक का प्रयोग करके यहां रत्न तैयार किए जाते हैं।
यहां के पुखराज को लेकर दो मत है कुछ ज्योतिषाचार्य इन्हें धारण करने की सलाह बिल्कुल नहीं देते और कुछ इन्हें भी ज्योतिषीय रूप से प्रभावकारी मानते हैं। इनकी कीमत 450 रू प्रति कैरेट से शुरू होती है और 2500 रू प्रति कैरेट तक जाती है। यह सामान्यत: ट्रीटेड होते हैं।
जबकि 1200 रू प्रति कैरेट से 4000 रू प्रति कैरेट तक के बैंकाक पुखराज सुंदर और नेचुरल (untreated) होते हैं इन्हें श्रीलंका पुखराज की जगह धारण किया जाता है।